मेरा गांव बहुत याद आता है।।
शीतल हवा के सुखमय झोंके ,
स्वर्ण किरणों का हिमगिरि से मिलन।
वो बर्फ से ढकी श्वेत हिम पंक्तियाँ,
बहुत याद आता है।।
बांजों का झुरमुट , काफल की डलिया,
खुमानी की खुशबू , हिसालू की झाड़ियाँ।
जंगल सुर्ख बुरांश के , वो सौंदर्य देवदार का.....
बहुत याद आता है।।
सर्प स्वरूपा पगडण्डी ,
मखमल सी फैली हरियाली।
वो स्वार्णिम आभा लिए गेहूं की बाली,
खिलखिलाते पुष्प , मुस्कुराती प्राची की लाली ....
बहुत याद आता है।।
उँची चोटियां , देवदार आवर्तित देवालय।
शांत स्निग्ध नील सरोवर ,बिखरे रजतमयी बर्फ कण,
शंख घंटों का नाद निरन्तर....
बहुत याद आता है।।
खो गए हम सपनों की आपा धापी में,
चमचमाते फर्श ,शॉपिंग माल , महानगरों की तेज रौशनी में।
पर गोबर से लिपा - पुता वो आँगन ....
बहुत याद आता है।।
मेरा गांव बहुत याद आता है।
बहुत याद आता है।।