Friday, July 24, 2015

ये जिन्दगी

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ये जिंदगी क्या है?  खुशियों की सौगात , प्यार की बरसात।
या दर्द भरी वो रात, जिसकी कोई सुबह न हो ,
ये मन समझ न पाया।
नैनो को भाती हरियाली ,पुष्पों से लदी हुई डाली।
या सूखी कटीली झाड़ी  की चुभन,
 ये मन समझ न पाया।
जीवन एक सरगम, प्यार का बंधन या सम्बन्धो का भ्रम।
उषा की लाली ,सुनहला प्रकाश या अमावस की कोई रात ,
ये मन समझ  न पाया।
क्यों है ये भ्रम ?
जीवन  खुशियों का झरोखा , कोई प्यारा अहसास या नैनों की बरसात।
ये मन समझ न पाया।
क्यों  रातें लम्बी हो गई , पूस की ठिठुरन अब जाती ही नहीं।
बसंत आने की राह ,क्यो इतनी लम्बी हो गई ?
ये मन समझ न पाया। ये मन समझ न पाया।।


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