Friday, August 28, 2015

तुम बिन कोई न भाया इस मन को।

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तुम बिन कोई न भाया इस मन को।

चाह तुम्ही ,आरजू तुम्ही,
नैनों की मूक भाषा में ,
मधुर बसे  संसार तुम्ही।
मैंने हर लम्हे में बस सजो दिया तेरी यादों को.
तुम बिन कोई ना भाया  इस मन को।


अर्पण, समर्पण की परिभाषाएं ,
तुम पर खतम  तुमसे शुरू।
अपने क़दमों की आहट से,
सुरभित कर दो इस जीवन को।
तुम बिन कोई न भाया  इस मन को।

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